ऐसे देखा जाए तो "पल" जैसी जिंदगी की कोई प्रस्तावना ही नहीं होती। हालाँकि, मगर ईतना तो जरुर कह सकते है की यह कम समय में खिला हुआ एक ऐसा विशाल व्यक्तित्व था की जिसमे धरती जैसी सत्वशीलता, हवा से भी ज्यादा हल्कापन, सूरज जितनी चमक और आकाश जितनी विशालता। और यही कारण है कि प्रकृति की नज़र ऐसे पूर्ण रूप से खिले हुए फूल पर पड़ी। भगवान को भी कमजोर पसंद ही नहीं हैं। सब कुछ उत्कृष्ट की ही अच्छा लगता है। इसीलिए ही उन्होंने ऐसे तेज पुंज को अपनी ओर बुला लिया।
लेकिन धन्यवाद इस उत्कृष्ट आत्मा की "माँ" को की जिसने अपने व्यस्त जीवन में से पूर्ण समय निकालकर ऐसा एक उत्तम चरित्र का निर्माण किया और भगवान के चरणों में समर्पित कर दिया। गीता में कहा गया है कि, भगवान कभी किसी...