ब्रम्हाजी के एक और मानसपुत्र, सारे वेद-शास्त्रो के ज्ञाता, इन के अरुंधति थी। इन की सलहा के अनुसार राम और लक्ष्मण को राजा दशरथ ने विश्वामित्र के साथ भेजते है। वे राजा दशरथ के कुलगुरु थे। सौदास अपने शाप की वजह से राक्षस का जन्म पाकर वसिष्ठ जी के पुत्रों का वध करता है। पुत्रशोक से पीडित वसिष्ठ जी आत्महत्या करने की कोशिष करते हैं। परन्तु पुत्र "शक्ती" के कारण पुनश्चेतना प्राप्त कर के सौदास के अपराथ क्षमा करते हैं। सहनशीलता का प्रतिरुप वसिष्ठ जी के विषय में जानना अत्यंत पुण्यदायक है।
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