हमारे पूर्वजों ने वैज्ञानिक जीवन पद्धति निर्धारित करते समय केवल संभावनाओं को नहीं अपितु संपूर्णता को अधिक महत्व दिया। यही कारण है कि हमारी सांस्कृतिक विरासत अत्यंत विस्तृत, विविध और समृद्ध है। शारीरिक रूप से सभी स्वस्थ और प्रसन्न रहें इसके लिए गायन, वादन और नृत्य कला को विकसित कर उसका विस्तार प्राचीन काल में ही कर दिया गया। इसका उल्लेख संस्कृत ग्रंथों में उल्लिखित है। भारत में नृत्य की परंपरा अत्यंत प्राचीन है। इस विशाल उपमहाद्वीप में नृत्य की विभिन्न विधाओं का उद्भव हुआ मुख्यत: आठ शास्त्रीय नृत्य माने जाते हैं। अंग-प्रत्यंग एवं मनोभावों के साथ की गई नियंत्रित यति-गति को कहते हैं नृत्य ।