निराशा में आशा की किरण
आशा की उड़ान कितनी ऊँची हो सकती है, इसकी कल्पना करें। यह उड़ान इंसान में ही संभव है क्योंकि वही एक ऐसा प्राणी है, जो आशा-निराशा में गोते लगाते रहता है।
जब जीवन में निराशा जुड़ जाती है तो यही उड़ान नीचे की ओर गिरने लगती है। इंसान स्वयं को लाचार महसूस कर दुःख में, डिप्रेशन में जीने लगता है। उसे पता नहीं है कि आशावादी विचार क्या कर सकते हैं।
आशा की किरण दिखे बिना भी यदि कोई अपने विचारों पर काम करना शुरू करे तो वह दुःख की दवा प्राप्त कर लेगा। डिप्रेशन का इलाज उसके खुद के अंदर ही पा लेगा।
मनुष्य के अंदर सारे जवाब पहले से ही उपलब्ध हैं। केवल उन्हें टैप करना है, क्लिक करना है। बिना क्लिक किए आपके मोबाइल में भी कुछ खुलता नहीं तो अपने अंदर के जवाब कैसे खुलेंगे? इसलिए इंसान को भी क्लिक करना सीखना होगा।
मददगार साबित हो सकती है?Tags: Sirshree's Books, Happy Thoughts book, Tejgyan philosophy, WOW Publishings inspirational books, Overcoming depression, Positive mindset techniques, Inner strength and resilience, Counselor for mental health, Transforming despair into hope, Self-help strategies for a joyful life
ं :