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Amarkriti Aur Bataasha

51 Vyangya Rachnayen (अमरकृति और बतासा: 51 व्यंग्य रचनाएँ)

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भगवान वैद्य 'प्रखर' के 4 व्यंग्य-संग्रहों में संकलित तीन-सौ से अधिक रचनाओं में से व्यंग्य-संग्रह 'अमरकृति और बतासा' के माध्यम से प्रस्तुत 51 रचनाएँ मनुष्य में परम्परागत रूप से पायी जाने वाली विसंगतियों, विडम्बनाओं एवं विकृतियों पर कटाक्ष हैं। इस कारण विश्वास है कि ये रचनाएँ 'सदाबहार' बनी रहेंगी। उनके शब्दों में, 'वह धर्मयुग, साप्ताहिक हिन्दुस्तान, कादम्बिनी, रविवार, नवभारत टाइम्स, दैनिक हिन्दुस्तान जैसी पत्र-पत्रिकाओं का जमाना था। व्यंग्य के लिए निर्धारित पृष्ठों पर हरिशंकर परसाई, शरद जोशी, के.पी. सक्सेना, रवीन्द्रनाथ त्यागी, लतीफ घोंघी जैसे व्यंग्य - सम्राट छाये रहते थे। उनकी मौजूदगी में, इन पत्र-पत्रिकाओं में स्थान पाना कोई बड़ा पुरस्कार पाने के समान था। लेकिन मैं भाग्यशाली हूं कि इन पत्र-पत्रिकाओं में गाहे-बगाहे मेरी रचनाएँ स्थान पाती रहीं और मुझे ऐसे 'पुरस्कार' मिलते रहे।... प्रथम व्यंग्य-संग्रह को केन्द्रीय हिंदी निदेशालय द्वारा पुरस्कृत किया गया तब पुरस्कार समिति सदस्य ख्यातनाम साहित्यकार प्रभाकर माचवे ने अपने उद्बोधन में कहा था, 'मुझे बिना रीढ़ के लोग' को पढ़ने में अधिक समय नहीं लगा क्योंकि मैं इसमें की अधिकतर रचनाएँ पत्र-पत्रिकाओं में पहले ही पढ़ चुका था।'

Formats

  • OverDrive Read
  • EPUB ebook

Languages

  • Hindi

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