साथ तो बचपन से था पर हमारा प्यार कहीं गुम था। ज़िन्दगी से हार न मानने की जिद और चुनौतियों से टकराने की हिम्मत इन्हें किस राह पर ले जाएगी ये तो वक़्त के पन्नों में दबा था। कॉलेज ख़त्म होने वाला था लेकिन आने वाली ज़िन्दगी की पाठशाला जंगल की उस अनजान यात्रा से होकर गुज़रने वाली थी। सैनिक बनकर वादियों में घर बनाने का सपना था लेकिन हक़ीक़त में तो कुछ और ही होना लिखा था, प्यार तो हर कोई करता है पर उसे हम इस तरह निभाएंगे ये तो काव्या और विशाल भी नही जानते थे।
तो चलिए पढ़ते हैं हम चार दोस्तों की मासूम शरारतों, अनजाने से प्यार तकरार और एक महासंग्राम से भरी हुई मेरी पहली कहानी... "वादियों के उस पार"
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पेशे से लेखक एक प्रतिष्ठित कंपनी में सॉफ्टवेर इंजीनियर हैं व...